PMAY-G: पीएम ग्रामीण आवास योजना एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सभी बेघर और कच्चे घरों में रहने वाले परिवारों को पक्का घर उपलब्ध कराना है। जबकि इस योजना से लाखों लोगों को लाभ हुआ है, ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से लाभार्थियों को पूरी मदद नहीं मिल पाती है:
1. वित्तीय सहायता की पर्याप्तता:
- वर्तमान में, समतल क्षेत्रों में प्रति घर ₹1.20 लाख और पहाड़ी/दुर्गम क्षेत्रों में ₹1.30 लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- निर्माण सामग्री की बढ़ती लागत और महंगाई के कारण, यह राशि एक गुणवत्तापूर्ण घर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है।
- संसदीय स्थायी समिति ने भी वित्तीय सहायता को बढ़ाकर ₹4 लाख प्रति यूनिट करने की सिफारिश की है।
2. लाभार्थियों की पहचान में समस्याएँ:
- लाभार्थियों की पहचान अभी भी 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) के आंकड़ों पर आधारित है।
- यह डेटा काफी पुराना हो चुका है, जिससे कई वास्तव में जरूरतमंद परिवार योजना के लाभ से वंचित रह सकते हैं, जबकि कुछ अपात्र लोग शामिल हो सकते हैं।
- समिति ने नई आवश्यकताओं को दर्शाने के लिए लाभार्थी सूची की व्यापक समीक्षा का आग्रह किया है।
3. बैकलॉग और नई आवंटन की समस्या:
- योजना का विस्तार मुख्य रूप से पुराने बैकलॉग को संबोधित करता है, न कि नए अवसरों का सृजन करता है।
- अभी भी बड़ी संख्या में घर अधूरे पड़े हैं, और नए आवंटन सीमित हैं।
4. समन्वय की कमी:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS), स्वच्छ भारत योजना (SBY), और प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) जैसी अन्य योजनाओं के साथ समन्वय में समस्याएँ आती हैं, जिससे लाभार्थियों को इन योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
5. कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
- कुछ राज्यों में राज्य सरकार की ओर से धन जारी करने में देरी होती है।
- भूमि विवाद और भौगोलिक बाधाएँ निर्माण में बाधा डाल सकती हैं।
- आधार कार्ड और बैंक खाते में नाम की विसंगतियाँ भी भुगतान में देरी का कारण बन सकती हैं।
- लाभार्थियों को निर्माण की गुणवत्ता के बारे में पर्याप्त मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है।
6. ऋण प्राप्त करने में कठिनाई:
- ₹70,000 तक के ऋण का प्रावधान होने के बावजूद, उच्च संपार्श्विक आवश्यकताओं और ब्याज दरों के कारण कई गरीब परिवार ऋण प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं।
सुधार के लिए सुझाव:
- वित्तीय सहायता की राशि को बढ़ाया जाना चाहिए।
- लाभार्थियों की पहचान के लिए एक नया और व्यापक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
- नए आवंटन को बढ़ाया जाना चाहिए और बैकलॉग को तेजी से पूरा किया जाना चाहिए।
- अन्य सरकारी योजनाओं के साथ प्रभावी समन्वय सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- कार्यान्वयन की प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
- गरीब परिवारों के लिए आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सरकार इन समस्याओं को दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, और समय-समय पर योजना में आवश्यक बदलाव किए जा रहे हैं। फिर भी, जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना एक सतत चुनौती बनी हुई है।