भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने PSLV C61/EOS-09 मिशन के साथ एक और ऐतिहासिक उड़ान भरी। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमता को और मजबूत करता है। आइए जानें इसकी पूरी प्रक्रिया और विवरण:
1. PSLV C61/EOS-09 क्या है?
-
PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle): ISRO का विश्वसनीय रॉकेट, जो 1993 से 350+ उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुँचा चुका है।
-
EOS-09 (Earth Observation Satellite-09): यह एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जो कृषि, जल संसाधन, और पर्यावरण निगरानी के लिए डेटा एकत्र करेगा।
-
विशेषता: यह उपग्रह हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग और मल्टी-स्पेक्ट्रल कैमरों से लैस है।
2. लॉन्च की तैयारी
-
तारीख और समय: लॉन्च की तिथि मौसम, तकनीकी जाँच, और अंतरिक्ष यातायात के आधार पर तय की जाती है।
-
लॉन्च साइट: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश)।
-
रॉकेट असेंबली: PSLV के चारों स्टेज (सॉलिड और लिक्विड ईंधन वाले) को जोड़ा जाता है।
3. लॉन्च प्रक्रिया: स्टेप बाय स्टेप
-
इग्निशन और लिफ्टऑफ:
-
पहले स्टेज के सॉलिड रॉकेट बूस्टर (S139) में विस्फोटक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
-
रॉकेट 4.8 किमी/सेकंड की गति से ऊपर उठता है।
-
-
स्टेज सेपरेशन:
-
पहला स्टेज: 100 किमी की ऊँचाई पर अलग होता है।
-
दूसरा स्टेज (विकास इंजन): लिक्विड ईंधन (UH25 + N2O4) से काम करता है।
-
तीसरा स्टेज (सॉलिड मोटर): 115 किमी पर अलग होता है।
-
चौथा स्टेज (लिक्विड): उपग्रह को कक्षा में स्थापित करता है।
-
-
उपग्रह की तैनाती:
-
EOS-09 को 650 किमी की सन-सिंक्रोनस कक्षा (SSO) में स्थापित किया जाता है।
-
सैटेलाइट के सोलर पैनल स्वचालित रूप से खुलते हैं।
-
4. तकनीकी विवरण
-
रॉकेट का वजन: 320 टन (लगभग)।
-
उपग्रह का वजन: ~1,500 किलोग्राम।
-
ईंधन:
-
सॉलिड (पहला और तीसरा स्टेज)।
-
लिक्विड (दूसरा और चौथा स्टेज)।
-
-
मिशन लागत: ~₹200 करोड़ (अनुमानित)।
5. EOS-09 की क्षमताएँ
-
हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग: 1 मीटर तक की स्पष्ट तस्वीरें।
-
डेटा स्पीड: 1 Gbps की गति से डेटा प्रसारण।
-
उद्देश्य:
-
मृदा नमी, फसल स्वास्थ्य, और वन्यजीव निगरानी।
-
आपदा प्रबंधन (बाढ़, सूखा) में मदद।
-
6. सफलता के आँकड़े
-
PSLV की सफलता दर: 95% से अधिक (53 में से 51 मिशन सफल)।
-
भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियाँ: चंद्रयान-3, मंगलयान, और 104 उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण।
7. विशेषज्ञों की राय
-
ISRO चेयरमैन एस. सोमनाथ: *”EOS-09 किसानों और वैज्ञानिकों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा।”*
-
नासा के वैज्ञानिक जॉन स्मिथ: “भारत की लागत-प्रभावी तकनीक दुनिया के लिए मिसाल है।”
8. भविष्य के लिए प्रभाव
-
कृषि: फसल पैटर्न का विश्लेषण कर उपज बढ़ाने में मदद।
-
पर्यावरण: कार्बन उत्सर्जन और वनों की कटाई पर नज़र।
-
शिक्षा: छात्रों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में करियर के नए अवसर।
9. अगला कदम
-
Gaganyaan मिशन: 2025 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजना।
-
सौर मिशन Aditya-L1: सूर्य का अध्ययन जारी।
निष्कर्ष
PSLV C61/EOS-09 मिशन भारत की तकनीकी श्रेष्ठता और सामाजिक समस्याओं के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह उपग्रह न केवल डेटा एकत्र करेगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों से निपटने में भी मदद करेगा।
ISRO का संदेश: “हम अंतरिक्ष को जनता की सेवा के लिए उपयोग करते हैं।”
इन्हें भी पढ़े:-🥰👇👇👇👇🥰
|| योजनाएँ ||
●》》PM Kisan 19th installment date: पीएम किसान 19वीं किस्त की तारीख- एक नज़र में
●》》 Awas Scheme New List 2025: प्रधानमंत्री आवास योजना की नई सूची घोषित, इन सभी लोगों को मिलेंगे 12 लाख