शेयर बाजार गिरने के मुख्य कारण:
Stock Market: शेयर बाजार में गिरावट आमतौर पर कई आर्थिक, राजनीतिक, और मनोवैज्ञानिक कारकों का परिणाम होती है। यहां कुछ प्रमुख वजहें समझें:
1. ब्याज दरों में वृद्धि
- केंद्रीय बैंक (जैसे RBI या US Fed) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाते हैं। इससे कंपनियों का कर्ज लेना महंगा हो जाता है, जिससे उनके मुनाफे और निवेशकों का भरोसा कम होता है।
- उदाहरण: 2022-23 में US Fed द्वारा लगातार दरें बढ़ाने से वैश्विक बाजारों में गिरावट आई।
2. मंदी की आशंका (Recession Fears)
- अर्थव्यवस्था के धीमे पड़ने या GDP ग्रोथ कम होने के संकेत मिलने पर निवेशक शेयर बेचकर सुरक्षित निवेश (जैसे सोना, बॉन्ड) की ओर भागते हैं।
- उदाहरण: COVID-19 महामारी के दौरान वैश्विक मंदी की आशंका से बाजार गिरे थे।
- युद्ध (जैसे रूस-यूक्रेन संघर्ष), व्यापार युद्ध (US-China ट्रेड वॉर), या चुनावों में अनिश्चितता से बाजार में उथल-पुथल होती है।
- तेल की कीमतों में उछाल या सप्लाई चेन की समस्या भी बाजार को प्रभावित करती है।
4. कंपनियों के मुनाफे में कमी
- महंगाई या मांग घटने से कंपनियों के राजस्व और मुनाफे (EPS) पर असर पड़ता है। नतीजतन, उनके शेयरों की कीमतें गिरती हैं।
- उदाहरण: IT सेक्टर में मंदी या टेक कंपनियों के नतीजे खराब आने से बाजार लुढ़क सकता है।
5. वैश्विक बाजारों का प्रभाव
- अमेरिका, चीन, या यूरोप के बाजारों में गिरावट का सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ता है, क्योंकि विदेशी निवेशक (FII) पैसा निकालकर अपने देश ले जाते हैं।
- 2023 में US बैंकों (जैसे SVB) के संकट ने वैश्विक बाजारों को हिला दिया था।
6. मुद्रास्फीति (Inflation)
- महंगाई बढ़ने से केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाते हैं, जिससे कंपनियों और उपभोक्ताओं का खर्च बढ़ता है। इससे शेयरों की वैल्यूएशन कम होती है।
- उदाहरण: 2022 में US में 9% मुद्रास्फीति ने बाजारों को झटका दिया।
7. निवेशकों का भावनात्मक व्यवहार
- डर या अफवाहों के कारण निवेशक बड़े पैमाने पर शेयर बेचने लगते हैं, जिससे बाजार तेजी से गिरता है। इसे पैनिक सेलिंग कहते हैं।
- सोशल मीडिया या खबरों का अतिरंजित प्रभाव भी गिरावट को बढ़ा सकता है।
8. करेंसी का कमजोर होना
- रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होने पर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालते हैं, जिससे बाजार दबाव में आता है।
9. सेक्टर-विशेष समस्याएं
- किसी खास सेक्टर (जैसे बैंकिंग, रियल एस्टेट, या ऑटो) में संकट या नियमों में बदलाव से पूरे बाजार पर असर पड़ सकता है।
- उदाहरण: 2020 में एयरलाइन और टूरिज्म सेक्टर में गिरावट।
10. वैल्यूएशन चिंताएं (Overvaluation)
- जब शेयर अपनी वास्तविक कमाई (earnings) से कहीं ज्यादा महंगे हो जाते हैं, तो बाजार में सुधार (Correction) होता है।
- उदाहरण: 2021 में टेक शेयरों के ओवरवैल्यूएशन के बाद 2022 में NASDAQ में भारी गिरावट।
निवेशकों के लिए सलाह:
- लंबी अवधि (Long-Term) के लिए निवेश करें।
- पोर्टफोलियो को विविध (Diversify) बनाएं।
- बाजार के उतार-चढ़ाव में घबराकर न बेचें।
- आर्थिक संकेतकों (GDP, Inflation, Interest Rates) पर नजर रखें।
शेयर बाजार में गिरावट अस्थायी हो सकती है, लेकिन समझदारी से निवेश करने वालों के लिए यह खरीदारी का अवसर भी होता है। हालांकि, जोखिम को कम करने के लिए हमेशा रिसर्च करें!
इन्हें भी पढ़े:-🥰👇👇👇👇🥰
|| बिज़नस & फाइनेंस ||
●》》Jamie Dimon: जैमी डिमोन- 10 ज़रूरी बातें जो आपको जाननी चाहिए
●》》Pi Coin 2025: पाई कॉइन से अमीर कैसे बनें? ज़रूरी बातें।
●》》Pi Coin Price: क्या 2025 में पाई कॉइन की कीमत बढ़ेगी? जानें!
●》》AJAX Engineering Share Price: निवेशकों के लिए मददगार टिप्स
●》》निवेशकों के लिए Hexaware technologies आईपीओ जीएमपी की बुनियादी बातें
●》》Hexaware technologies आईपीओ की तैयारियों में क्या ध्यान रखें
●》》क्या Hexaware technologies ipo gmp निवेश के लिए सही है?
●》》Sunita Williams: एक नासा अंतरिक्ष यात्री की कहानी
●》》Jio Coin बनाम Trump Coin: 2025 में करोड़ो का फायदा किसमें? पूरी रिपोर्ट